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जयशंकर प्रसाद | जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 12 | Jaishankar prashad ka jaivan parichay

जयशंकर प्रसाद | जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 12 | Jaishankar prashad ka jaivan parichay

 ● जयशंकर प्रसाद | जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कक्षा 12 | Jaishankar prashad ka jaivan parichay

जयशंकर प्रसाद (Jayashankar Prasad) भारतीय साहित्यिक और कवि थे, जिन्हें हिंदी और संस्कृत साहित्य के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। वे 30 जनवरी 1889 को बरेली, उत्तर प्रदेश, भारत में जन्मे थे और 14 जनवरी 1937 को उनकी मृत्यु हुई। जयशंकर प्रसाद को "आदिकवि" का उपनाम प्राप्त है, क्योंकि उन्होंने हिंदी भाषा में नवीन काव्य शृंगार को प्रवर्तित किया।

जयशंकर प्रसाद का जन्म बरेली में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्होंने अपनी पढ़ाई में उच्चतर माध्यमिक तक की शिक्षा प्राप्त की और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातक की डिग्री हासिल की।

जयशंकर प्रसाद ने अपनी काव्यरचनाओं के माध्यम से भारतीय इतिहास, साहित्यिक महाकाव्यों, धर्म और राष्ट्रीयता के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। उनकी प्रमुख कृतियों में "कामायनी", "आगन्तुक", "स्कंदगुप्त" और "चन्द्रगुप्त" शामिल हैं।

जयशंकर प्रसाद को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। उन्हें संस्कृत साहित्य की उच्चतम नामिता "महामहोपाध्याय" से भी नवाजा गया। उन्होंने बहुत सारे सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण हैं "कामा पुरस्कार" और "भारतीय साहित्य सभा की सुखदेवी सम्मानित रचना पुरस्कार"।

जयशंकर प्रसाद एक महान कवि और साहित्यिक होने के साथ-साथ एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया और स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लिया। उनकी कविताएं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती हैं और उनकी लेखनी से देशभक्ति की भावना प्रकट होती है।

इस प्रकार, जयशंकर प्रसाद एक प्रख्यात हिंदी कवि, साहित्यिक, स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रीय व्यक्तित्व थे, जिनकी कविताओं और रचनाओं ने भारतीय साहित्य को गौरवान्वित किया है।


साहित्य मे स्थान-:

जयशंकर प्रसाद (Jai Shankar Prasad) भारतीय साहित्य के महान कवियों में से एक हैं। वह हिंदी साहित्य के मशहूर कवि हैं और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम काल के प्रमुख साहित्यिक व्यक्तित्वों में से एक माने जाते हैं। जयशंकर प्रसाद का साहित्य उनकी कविताएं, काव्यनाटक, गद्य और निबंधों से भरा हुआ है।

उनकी प्रसिद्ध काव्य रचनाओं में से एक है "कामायनी" (Kamayani) जो उनका मुख्य काव्य ग्रंथ है। इस काव्य में वे प्राचीन भारतीय धार्मिक और ऐतिहासिक कथाओं को मशालेदार भाषा में प्रस्तुत करते हैं। कामायनी एक महाकाव्य है और इसमें मानवीय भावनाओं, प्रेम, भक्ति और प्राकृतिक तत्वों की मधुर चित्रण किया गया है।

उनकी अन्य प्रमुख रचनाएं में "आँधी-दर-आँशू" (Andhiyon Ke Desh Mein), "कान्ति" (Kamayani), "उषा" (Usha) और "आशा-मानव" (Asha-Manav) शामिल हैं। इन रचनाओं में उन्होंने भारतीय संस्कृति, दर्शन, आध्यात्मिकता, प्रेम और मानवीय भावनाओं को व्यक्त किया है।

जयशंकर प्रसाद को नाटक के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। उनकी प्रसिद्ध नाटकों में "स्कन्दगुप्त" (Skandagupta), "चंद्रगुप्त" (Chandragupta) और "धर्मराज युधिष्ठिर" (Dharmaraj Yudhishthir) शामिल हैं। इन नाटकों में भारतीय इतिहास, राजनीति और धर्म के विषयों पर चर्चा की गई है।

जयशंकर प्रसाद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से भारतीय साहित्य को गहराई और विविधता प्रदान की है। उनकी लेखनी में भावनाएं, आदर्शवाद, और प्रकृति के साथ मानवीय संबंधों को मधुरता से प्रकट किया गया है। जयशंकर प्रसाद का साहित्य आज भी भारतीय साहित्य की महत्वपूर्ण धारा माना जाता है।


● जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं


कामायनी (Kamayani): यह उनका मुख्य काव्य ग्रंथ है और एक महाकाव्य के रूप में जाना जाता है। इस काव्य में मानवीय भावनाओं, प्रेम, भक्ति और प्राकृतिक तत्वों का सुंदर चित्रण किया गया है।


आँधी-दर-आँशू (Andhiyon Ke Desh Mein): यह उनकी एक प्रसिद्ध काव्य रचना है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन, स्वतंत्रता संग्राम, राष्ट्रीय स्वाधीनता के विषयों पर लिखा है।


रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar): जयशंकर प्रसाद ने अपने इस काव्य ग्रंथ में भारतीय कवि रामधारी सिंह दिनकर के जीवन और काव्य को समर्पित किया है।


चंद्रगुप्त (Chandragupta): यह उनका प्रसिद्ध नाटक है, जिसमें उन्होंने मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन को विवरणीय ढंग से प्रस्तुत किया है।


स्कन्दगुप्त (Skandagupta): इस नाटक में जयशंकर प्रसाद ने गुप्त युग के महानायक स्कंदगुप्त के जीवन को प्रस्तुत किया है।


आशा-मानव (Asha-Manav): इस ग्रंथ में उन्होंने प्रेम, विश्वास, उम्मीद और मानवीय भावनाओं के विषय पर चर्चा की है।


कान्ति (Kamayani): इस काव्य ग्रंथ में भारतीय ऐतिहासिक और पुराणिक कथाओं के विषयों पर लिखा गया है। इसमें प्रेम, रोमांच, और आध्यात्मिकता के मुद्दों का भी परिचय दिया गया है।


उषा (Usha): इस काव्य ग्रंथ में उषा के चरित्र को केंद्र में रखकर व्यक्तिगत और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की गई है। इसमें प्रेम, स्त्री स्वतंत्रता, और सामाजिक न्याय के विषयों को दिया गया है।


आषाढ़ का एक दिन (Ashaadha Ka Ek Din): यह नाटक एक प्रेम कथा को दर्शाता है और प्रेम और विरह के विषयों पर गहरे विचार करता है।


माधवी (Madhavi): इस नाटक में राजनीति, स्वतंत्रता आंदोलन और प्रेम के विषयों पर चर्चा की गई है।


धर्मराज युधिष्ठिर (Dharmaraj Yudhishthir): यह नाटक महाभारत के पांडवों के प्रमुख चरित्र युधिष्ठिर पर आधारित है। इसमें धर्म, न्याय, और सत्य के विषयों पर चर्चा की गई है।


● जयशंकर प्रसाद की कविताएं

 हाँ,वही दरिंदा हूँ: इस कविता में कवि अपने अस्तित्व की मजबूती और अपने निर्माण को दर्शाते हैं। इसे उनकी स्वतंत्रता आंदोलन समय की प्रमुख कविताओं में से एक माना जाता है।


धर्म: इस कविता में कवि धर्म के महत्व को व्यक्त करते हैं और धर्म की महानता और उसके आदर्शों की प्रशंसा करते हैं।


चाँदनी रात: यह एक प्रेम कविता है जिसमें कवि अपनी प्रेमिका के साथ चाँदनी रात में विहार करने का वर्णन करते हैं।


वीर तुम बढ़े चलो: इस कविता में कवि वीरता, साहस और देशप्रेम की प्रशंसा करते हैं और वीरों को समर्पित करते हैं।


विजयी विश्व तिरंगा प्यारा: यह एक राष्ट्रीय गान है जिसमें कवि भारतीय ध्वज की प्रशंसा करते हैं और देशप्रेम के भाव को व्यक्त करते हैं।


मधुबाला: यह कविता एक लड़की के सौंदर्य और आकर्षण का वर्णन करती है और प्रेम के विषय में विचार करती है।


हिमदूत (Himadoot): यह कविता हिमालय के दूत की भूमिका में है और वह धरती की ओर भेजा गया है ताकि वह दिल्ली के राजा के पास जा कर उसे आग्रह कर सके कि वह धरती को प्यार से देखे।


सोने की चिड़िया (Sone Ki Chidiya): यह कविता एक सोने की चिड़िया की कहानी को दर्शाती है और उसके बदलते समाजिक परिवेश का वर्णन करती है।


चित्र विचित्र (Chitravichitra): इस कविता में कवि छवि को वर्णन करते हैं और अलौकिकता के विषय पर विचार करते हैं।


तारा (Tara): यह कविता एक तारा की भूमिका में है और वह आकाशीय चक्र के विभिन्न दृश्यों का वर्णन करती है।


अमलतास (Amaltas): इस कविता में कवि अमलतास फूल की कहानी को दर्शाते हैं और उसकी प्रकृति, सुंदरता और विचारधारा को व्यक्त करते हैं।


धरा की प्रेमकथा (Dhara Ki Premkatha): यह कविता प्रकृति के रूप में धरा की प्रेम कथा को वर्णित करती है और उसके सौंदर्य, उर्वरता और प्रेम के विषय पर चर्चा करती है।


● जयशंकर प्रसाद कैसे कवि हैं?

जयशंकर प्रसाद एक महान कवि हैं। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से भारतीय साहित्य को गहराई और विस्तार दिया है। उनकी कविताएं उनके आदर्शवादी विचारधारा, प्रेम के उत्कृष्ट वर्णन, प्राकृतिक तत्वों की सुंदरता, और अद्वैत दर्शन के प्रतिष्ठान को दर्शाती हैं।

जयशंकर प्रसाद की कविताएं शानदार भाषा, सुंदर छंद और महान काव्यात्मकता से भरी होती हैं। उनकी रचनाओं में साहित्यिक उद्दीपना, भावनात्मक गहराई, और शब्दों की ऊर्जा महसूस होती है।

उनकी कविताएं धार्मिकता, राष्ट्रीयता, प्रेम, मानवीयता, और विचारधारा के विभिन्न पहलुओं पर बल देती हैं। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक मुद्दों, नारी सशक्तिकरण, राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन, और मानवीयता के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किए हैं।

जयशंकर प्रसाद के रचनाकारी कौशल, उत्कृष्ट भावुकता, और साहित्यिक दक्षता ने उन्हें एक महान कवि के रूप में प्रमाणित किया है। उनकी कविताओं में एक ऊर्जावान और प्रभावशाली आवाज है जो उन्हें भारतीय साहित्य की महत्वपूर्ण धारा में एक प्रमुख स्थान देती है।


● जयशंकर प्रसाद ने कौन सी कहानी लिखी?

आखिरी रस्सी: यह कहानी एक राजनीतिक प्रेम कथा है जो सत्ता के चक्र में फंसे दो प्रेमी जोड़े की कहानी को दर्शाती है।


नगरीक: यह कहानी समाज की नगरीकता, अकारण बंधनों, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की मुख्य विषयों पर आधारित है।


मानसी: इस कहानी में एक नवजात शिशु की कथा बताई गई है जिसमें जन्म, मृत्यु, प्रेम, और मानवीय अनुभवों का वर्णन किया गया है।


चाँदी का गुलाब: यह कहानी एक मधुमक्खी और एक गुलाब के बीच एक अद्वैतीय प्रेम कथा है जो संघर्ष और प्रेम के मामलों को दर्शाती है।


अमूँद की दास्तान: यह कहानी एक साधू की जीवनी है जो मानवता के विभिन्न मुद्दों पर विचार करती है।


● प्रसाद की एकांकी कौन सी है?

जयशंकर प्रसाद की एक प्रसिद्ध एकांकी है "चंद्रगुप्त" (Chandragupta)। यह एक नाटक है जिसमें वे मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन को विवरणीय ढंग से प्रस्तुत करते हैं। "चंद्रगुप्त" में व्यापक रूप से इतिहास, राजनीति, और साहित्यिक कला के विषयों पर चर्चा की गई है। इस नाटक में चंद्रगुप्त मौर्य के व्यक्तित्व, उनके संघर्षों और सामरिक प्रगति का वर्णन किया गया है। यह एकांकी चंद्रगुप्त के महत्वपूर्ण कार्यों, राष्ट्रीय संघर्षों और उनके साहसिक परिवर्तन को उजागर करती है। "चंद्रगुप्त" जयशंकर प्रसाद की प्रमुख एकांकी रचनाओं में से एक है और उनकी साहित्यिक प्रतिष्ठा को और बढ़ाती है।


● जयशंकर प्रसाद जी को कौन कौन से पुरस्कार मिले?

साहित्य अकादेमी पुरस्कार (Sahitya Akademi Award): जयशंकर प्रसाद को 1958 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो उनकी काव्य पुस्तक "कामायनी" के लिए था।


पद्मभूषण: जयशंकर प्रसाद को 1969 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया, जो उनके साहित्यिक योगदान को मान्यता देता है।


ज्ञानपीठ पुरस्कार: जयशंकर प्रसाद को 1966 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो उनकी काव्य पुस्तक "कामायनी" के लिए था।


उत्तर प्रदेश सरकार सम्मान: जयशंकर प्रसाद को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं, जैसे कि उत्तर प्रदेश साहित्य निदेशालय द्वारा संघर्ष पुरस्कार और साहित्यिक नगरीक निदेशालय द्वारा जयशंकर प्रसाद पुरस्कार।


● जयशंकर प्रसाद की कुल कितनी रचनाएं हैं?

जयशंकर प्रसाद की कुल रचनाएं कई हैं और उनकी व्यापक रचनाओं की संख्या को निर्धारित करना मुश्किल है। उन्होंने कविताएं, एकांकियाँ, नाटक, उपन्यास, लघुकथाएं, निबंध, और निबद्ध ग्रंथों की विभिन्न प्रकारों में लिखी हैं।


जयशंकर प्रसाद ने अपनी प्रमुख काव्य रचनाएं "कामायनी", "कान्ति", "उषा", और "आषाढ़ का एक दिन" जैसी कविताएं लिखी हैं। उन्होंने नाटकों में "धर्मराज युधिष्ठिर", "माधवी", और "आषाढ़ का एक दिन" जैसी प्रसिद्ध एकांकी रचनाएं लिखी हैं।


उनके उपन्यास में "स्कंदगुप्त", "जयमंगला", "विश्वमित्र", "अर्धनारीश्वर", "मधुबाला", "प्रतिमा" और "अरण्य की आग" जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।


इसके अलावा, जयशंकर प्रसाद ने छोटी कहानियों, लघुकथाओं, और निबंधों की भी कई रचनाएं लिखी हैं।


● जयशंकर प्रसाद का प्रथम उपन्यास कौन सा है?

जयशंकर प्रसाद का प्रथम उपन्यास "स्कंदगुप्त" (Skandagupta) है। यह उपन्यास प्रकाशित हुआ था और उनकी उपन्यासिका करियर की शुरुआत की थी। "स्कंदगुप्त" उनकी कविताओं के उत्कृष्ट गुणों को दर्शाते हुए, राष्ट्रीय और साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस उपन्यास में वे स्कंदगुप्त मौर्य के जीवन और उसके शासन काल को विस्तार से प्रस्तुत करते हैं। "स्कंदगुप्त" जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक योगदान की पहली और महत्वपूर्ण रचनाओं में से एक है।


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